23/03/2015, Monday
23 मार्च, शहीद दिवस
23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह, सुखदेव और
राजगुरु की देश-भक्ति को अपराध की संज्ञा
देकर फाँसी पर लटका दिया गया। कहा जाता
है कि मृत्युदंड के लिए 24 मार्च की सुबह तय की
गई थी लेकिन किसी बड़े जनाक्रोश की आशंका
से डरी हुई अँग्रेज़ सरकार ने 23 मार्च की रात्रि
को ही इन क्रांति-वीरों की जीवनलीला
समाप्त कर दी। रात के अँधेरे में ही सतलुज के
किनारे इनका अंतिम संस्कार भी कर दिया
गया।
'लाहौर षड़यंत्र' के मुक़दमे में भगतसिंह को फाँसी
की सज़ा दी गई थी तथा केवल 24 वर्ष की आयु
में ही, 23 मार्च 1931 की रात में उन्होंने हँसते-
हँसते, 'इनक़लाब ज़िदाबाद' के नारे लगाते हुए
फाँसी के फंदे को चूम लिया।
भगतसिंह युवाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन
गए। वे देश के समस्त शहीदों के
Dilipmahera